मैथ्स में प्रेम
प्रिये चन्द्रकली (चाँद की 1 बटा 16 वीं ), प्रेम पूर्ण दोनों हाथो की सतहों को कोणीय यानि शंकु मुद्रा में जोङ कर प्रणाम
लव यू 2 3 4 ……अपरिमित infinite
जब से तुमसे आँखे 4 हुई
तब से दिल में १००० वाट के बल्ब जल उठे ,तेरे इश्क़ में २ दूनी 5 होने लगा. ,दर्द दुगुना हो गया। और नींद 9 दो 11 हो गई।
2 पल भी नहीं रह सकता तुम बिन। दोस्तों से मिलना माइनस गया और मेरी वजह से पापा का cholesterol बढ़(+) गया हैं
तुम नहीं मिलती तो मेरे बी पि का वर्गमूल घनत्व बढ़ तीनगुना हो जाता है। गुस्से का पारा 100 डिग्री हो जाता है। दिन रात तारे गिनता रहता हूँ।
और तो और तुम्हारी याद में मेरा वज़न ६० से ५० हो गया है। और खून गुणात्मक रूप से घट कर यानि तीन चौथाई रह गया है। यूँ ही चलता रहा तो मुझ में और किसी पागल में बस 19 , 20 का ही फर्क महसूस होगा।
24 घंटे कैसे गुजर जाते है पता नहीं चलता एक एक पल तुम्हारी यादों में खोया हूँ। तुम तो ऐसे किनारा कर गई जैसे 900 चूहे खा के बिली हज़ को चली ,कितनी सुन्दर सुहानी सावन की विभिन्न आकारो की बद्री छाई है काश तुम यहाँ होती , पर मुझे पता है तम नहीं आओगी और ना 9 मन तेल होगा न राधा नाचेगी। बरस बरस के सावन मेरे मन में आग की तीरभुजी आकारिया लपटे उठा रहा है। सब कुछ मैथ के पर्चे की तरह धुंधला धुंधला नजर आ रहा है। पूनम का पूर्ण वृतया चाँद अपने 360 ० व्रत को बनाये कितना लुभा रहा है पर तुम नहीं तो ये सब शुन्य यानि जीरो का आभास देता है।
ये नभ की गोलाईयां, ये बादलों की अंगड़ाइयां तुम्हारा अण्डीय आकारनुमा चेहरे की याद दिलाती है। गोलाकार आँखे , 32 दांतो की दूधिया, समान रूप में विभाजित श्रृंखला ,काले घने लंबवत शरीर को अर्ध विभाजित करते लम्बे उलझे बालों की यादें मेरे ज़हन में उलटे सीधे सवाल करते है। तुम्हारे होठों का वो बिन्दुऑकारिया तिल , और बदन की भिन्न भिन्न रेखागणितीय ,२ डी और 3 डी आकारीय चित्र यानि शेप्स दिमाग के क्षेत्रीय फल को लगभग शुन्य कर देते है।
प्रिये न जाने कितने वर्ग क्षेत्रफल दूर हो तुम मुझ से जो मैं तुम्हे छू भी नहीं सकता। मैं पलके बिछाये बैठा हूँ ३ -५ न करो बस जल्दी से २०० की गति से मेरे पास चली आओ। तुम मुझ से 1000 किलोमीटर दूर हो परन्तु यदि वहां से १५०-२०० की गति से आओ तो तुम १२ घंटे में मेरी बाँहों के 2 फुटिय अर्धवृत्ताकार घेरे में समां जाओगी हम 1 हो जाएंगे और हम दोनों एक दूसरे में ऐसे समां जायेंगे जैसे ब्रैकेट यानि वर्गाकार कोष्ठक में बंधे अंक।
अगर तुम जल्दी नहीं आई तो मेरा खून को दौरा बहुपदीय अंको की तरह घट कर माइनस में आ जाएगा। प्रिये मेरे शरीर का हर फ्रैक्शन (खंड) सिर्फ तुम्हारा है इसमें करेक्शन का अधिकार भी सिर्फ तुम्हारा है। इसकी लंबाई ऊंचाई चौड़ाई में सिर्फ तुम ही तुम हो ,चाहो तो क्षेत्रफल निकाल कर देख लो। प्रिये मेरा प्यार १०० प्रतिशत सच्चा है। मुझे हर चीझ में , हर अंक, हर फार्मूले में तुम ही नजर आती हो। जब भी मैं कक्षा में व्रृत का फार्मूला बताता हूँ तो तुम्हारी गोलाइयाँ मेरी आँखों में एक बड़ा सा दीर्घव्रत बनाकर धुंधला जाती है। बस और क्या कहूँ यदि तुम २४ घंटे में नहीं आई तो मैं चौथी मंजिल की 60 फुट की ऊंचाई से कूद कर अपने आप को विखंडित कर लूंगा और कुछ भी शेष न बचेगा।
तुम्हारा हीरो मगर दुनिया के लिए 0
सिर्फ तुम्हारा 'चतुर्भुज चतुर्वेदी'
