Tuesday, November 17, 2015

मैथ्स के प्रोफ की बीवी के लिए खत लिखा तो कुछ कंप्यूटर के प्रोफ नाराज हो गए के हमें भी कुछ ऐसा बना बनाया मसाला लिख के दे दो जो हम अपनी प्रियतमा को कट कॉपी पेस्ट करके  भेज सके. तो जनाब ये कंप्यूटर के प्रोफ़सरो को खुश करने के लिए लिखना पड़ा। डा  जांगड़ा जी और प्रियंका जी को समर्पित। 
 अब प्रोफ़सरो के ही दिमाग में हमारे प्रति  नाराजगी का वायरस आ  गया तो हम तो हैंग हो जाएंगे। अब ये क्या खत लिखेंगे भला जब देखो तब इनका मूड हैंग हो जाता है।  पत्नी की बात की कोडिंग  हमेशा गलत करते है और जवाब बाइनरी में देते है। 
अरे कंप्यूटर के प्रोफ की दिमाग की डिफाल्ट स्कैनिंग भला कोन आसान काम है।खैर कोशिश करके देखते हैं।   न जाने कौन कौन से सिक्योरिटी के सॉफ्टवेयर लगा रखे होंगे।  और इनसे पंगा न ही ले तो अच्छा पता नहीं सारा डाटा हैक करके बदला ले।  इनकी प्रेमिका तो खुद इन की हैकिंग की आदत से परेशान है। क्योकि बेचारी इन से कुछ छुपा ही नहीं पाती। 
एक दिन शिकायत कर रही थी की उससे भी डिजिटल सिग्नल्स में ही बात करत्ते है।  इनका एंटीना कब किस से जुड़ जाये पता ही नहीं चलता।  कभी कहते है है तुम मेरे गूगल हो और मैं  तुम्हारा विकिपीडिआ।  तंग आ गई हूँ , कभी शांत बैठ कर दो पल बात नहीं करते जब देखो इनकी डऊनलोडिंग  चली रहती है।  मैं कैसे इनके प्यार को एक्सेस करु।  प्रेम शब्द का तो इनके अकाउंट में नाम ही नहीं हैं। कहते है प्रिये तू वो algorithm है जिसका समाधान बिल गेट्स भी नहीं कर पाया। और न ही मेरे पास तुम्हारा कोई बैकअप।  
इनके अनुसार इनकी पत्नी अभी एनालॉग मोड़ पर ही है डिजिटल नहीं हुई. इनका बस चले तो ये खाने को भी डिजिटल करदे।  और इनकी पत्नी के अनुसार ये इतनी डिजिटल हो गए के इनकी ऍप्लिकेशन्स अब उसकी समझ से बाहर है। प्रोफ साहेब की और प्रेमिका की बैंड -विथ इतना टकराती है के जल्दी ही इनके प्यार का ब्राउज़र ब्लास्ट करने वाला है।  न उनकी इनपे कमांड  है न इनकी कॉन्फ़िगरेशन उनकी समझ में आती।  ये कहते है इनकी प्रिये का cpu ही नहीं है वो कहती है इनके सर्वर में ही गड़बड़ी है। एक दिन तो इनकी डिजिटल पत्नी ने धमकी दे दी के मैं तुम्हारा फोल्डर बना के हमेशा के लिए डिलीट कर दूंगी अब प्रोफ साहेब डरते थोड़े ही है बोले कर लो मै  retrieve कर लूंगा।  म फॉर्मेट कर दूंगी , तो बोले मैं हार्ड डिस्क उड़ा  दूंगा।  भाई इनमे  इनमे कैसे प्यार होगा। और तो और इनके लड़ाई सुनो। …वो बोली तुम malware हो  -ये बोले तुम ट्रोज़न।  वो बोली तू स्पैम ये बोले तुम worm अब इनका कुछ नहीं हो सकता।  अब प्रोफ साहेब की प्रोसेसिंग 200 GB और पत्नी बेचारी 756 MB प्यार हो भी तो कैसे।  
बेचारे एक दिन मंदिर में भोले नाथ के आगे बोल रहे थे की हे भगवन कोई ऐसा एंटी पत्नी वायरस बना ददो  मैं  तुम्हारी ऊपर २० GB का पेन ड्राइव और एक  नए भजनो की ६४ gb की चिप  भेँट करूँगा।  हे पर्भु pl मॉडेम ओन करके मेरे साथ लोग इन करो वर्ना  मैं यहीं खुद को रीसायकल बिन में भेझ दूंगा।  मेरी RAM में अब और प्रोग्रम्मिंग की ताकत नहीं बची।  मेरी मेमोरी भी ठीक से नेटवर्किंग नहीं कर रही अब आप ही मुझे रिफ्रेश कर सकते हो। 
तो हमने इनके लिए इनकी डिजिटल पत्नी को लिखा।  हे मेरी प्राणो की हार्ड ड्राइव ,म तुम्हे इतना चाहता हूँ जैसे मेरे कंप्यूटर का सीक्रेट डेटा , तुम मेरे लिये पासवर्ड से भी कीमती हो।  मैंने तुम्हारे लिए अपने जज्बातों को हमेशा अपने दिल वाले फोल्डर में छुपा के रखता हूँ देखता हूँ आँखों में तो अल्फा किरणे मेरे मन में कई रंगो का स्पेक्ट्रम फेंकने लगती है। तुम्हारी हंसी के पिक्स्ल ही तो मेरा पावर  बैकअप है।  तुम्हारी रुठने के  high वोल्टास के करंट ही तो मेरी बैटरी को १०० % चार्ज रखते है. तुम मेरे लिए क्या हो म बाइनरी में बता सकता हूँ मेरा सिक्योरिटी सिस्टम का पासवर्ड तुम हो।  अब गुस्सा छोडो क्यों गेगा बाइट  में मुझे डैमेज करती हो।  ओ मेरी गूगल अब मन भी जाओ 
तुम्हारा malware 

Friday, February 27, 2015

महिला ने सोने की अंगूठी बेच कर भरी बच्चों की फीस

पिछले छ महीने से नहीं मिली तनख्वाह, भूखे मर रहे है 800 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के परिवार 

'हर बच्चे  को पढ़ने का अधिकार है', ये नारा अब बेमानी हो गया। सँविधान द्वारा दिया गया ये अधिकार कैसे पूरा होगा जब छ -छः महीने तनख्वाह नहीं मिलेगी. लोग भूखे मर रहे है , औरते अपने जेवर बेच कर घर का खर्च चला रही  है. स्कूल से बच्चोें के नाम काट दिए गए है। दूध वाला , राशन वाला अब सब ने जवाब देने शुरू कर दिए है।  और जब कोई और चारा नहीं रहा तो ये बेबस , लाचार लोग अनशन पर बैठने को मजबूर हो गए।  अब इनके पास मरने के सिवा कोई चारा नही. 
एक महिला ने बताया आज वो वायदा करके ऐ है जिनसे उसने 6 महीने राशन उधर लिया है।  आज वो या तो वो तनख्वाह लेकर घर जाएगी या यही मारना पसंद करेगी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रांगण में।   लेकिन किसी के कानो  पर इनके दर्द की चीख असर नहीं करती , न ही किसी का दिल पसीजता।  और हम सब भी केवल तमाशा ही देख रहे है।  भारत के सविधान के अनुसार एक दिन भी तनख्वाह रोकना अपराध है। और यहाँ तो चार चार छ छ महीने से तनख्वाह नहीं मिली।  हम गोरे  अंग्रेजो को तो आज तक कोसते है परन्तु इन काले अंग्रेजो का  क्या जो आज तक गरीब और लाचार  जनता पर अत्याचार और ज़ुल्म कर रहे है।  
जरा सोचे और इन के साथ अ कर इनका होसला बढ़ाये और देखे के हम इनके लिए क्या कर सकते है