Friday, February 27, 2015

महिला ने सोने की अंगूठी बेच कर भरी बच्चों की फीस

पिछले छ महीने से नहीं मिली तनख्वाह, भूखे मर रहे है 800 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के परिवार 

'हर बच्चे  को पढ़ने का अधिकार है', ये नारा अब बेमानी हो गया। सँविधान द्वारा दिया गया ये अधिकार कैसे पूरा होगा जब छ -छः महीने तनख्वाह नहीं मिलेगी. लोग भूखे मर रहे है , औरते अपने जेवर बेच कर घर का खर्च चला रही  है. स्कूल से बच्चोें के नाम काट दिए गए है। दूध वाला , राशन वाला अब सब ने जवाब देने शुरू कर दिए है।  और जब कोई और चारा नहीं रहा तो ये बेबस , लाचार लोग अनशन पर बैठने को मजबूर हो गए।  अब इनके पास मरने के सिवा कोई चारा नही. 
एक महिला ने बताया आज वो वायदा करके ऐ है जिनसे उसने 6 महीने राशन उधर लिया है।  आज वो या तो वो तनख्वाह लेकर घर जाएगी या यही मारना पसंद करेगी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रांगण में।   लेकिन किसी के कानो  पर इनके दर्द की चीख असर नहीं करती , न ही किसी का दिल पसीजता।  और हम सब भी केवल तमाशा ही देख रहे है।  भारत के सविधान के अनुसार एक दिन भी तनख्वाह रोकना अपराध है। और यहाँ तो चार चार छ छ महीने से तनख्वाह नहीं मिली।  हम गोरे  अंग्रेजो को तो आज तक कोसते है परन्तु इन काले अंग्रेजो का  क्या जो आज तक गरीब और लाचार  जनता पर अत्याचार और ज़ुल्म कर रहे है।  
जरा सोचे और इन के साथ अ कर इनका होसला बढ़ाये और देखे के हम इनके लिए क्या कर सकते है   


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