हर चीज धुंधली सी है इन दिनों
अजनबी हवा चली है इन दिनोंभूल जाऊ रहे न याद कुछ भीयारो कुछ दुआ करो इन दिनों
चेहरे ही चेहरे कौन है ये लोगपहचाने नहीं जाते इन दिनोंछू कर देखा बदन तो थेमशीन से इन्सां है इन दिनोंसुना था के नश्वर है वोफिर कहाँ है वो इन दिनोंडर गई है नए आलम से या फिर
आत्मा भी मरने लगी है इन दिनों
ज़िंदगी बेरहम सी खिलखिला रही है इन दिनों...........
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