Monday, August 29, 2011

muktak


हुजूम उमड़ पड़ा है तल्खियो का ज़माने में 
हर शख्स खुद से लड़ पड़ा है ज़माने में 
बदली है नीयत हवाए बदल गई  
मुश्किल है रौशनी ढूँढना ज़माने में 

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