Sunday, February 20, 2011

Save nature

1. पेड़  कहाँ कुछ लेते है
ये तो बस सब देते है
मानव बस एक  बेचारा 
सब के आगे हाथ पसारा 

2. इसको चाहे सब मिल जाये 
और और की रट ये लगाये
 मन इसका  है गहरा  कुआँ 
जितना डालो छु मंतर हुआ  

3. सूरज से ये मांगे रौशनी 
 चले हवा से इसकी धोंकनी 
पेड़ो काट किया जंगल नंगा 
फिर कहे मैली हो गई गंगा 

4. खोद खोद धरती की परते 
हीरे मोती से जेभे भरते 
असमान पे जगह बना ली 
झोली इसकी फिर भी खाली 

5. कंद मूल से पेट न भरता
इसको चहिये मास का भरता 
पिंजरे मैं बंद कर दी चिड़िया  
कौन खेवे इन्सान तेरी नैया 

6. देख तमाशा बैठ के भैया 
डूबे सूरज, धरती बने तलैया 
तेरी नहीं अब चलने वाली 
रात नहीं अब ढलने वाली 

7. जाग  अभी भी होश में आ 
हरयाली  को गले लगा 
नदियों का तू बन रखवाला
प्रेम प्यार से भर ले प्याला 
8. क्यों धरती पे जुल्म तू ढाए
निर्जीवो को  काहे सताए 
साथ न भइया कुछ जावेगा 
सब कुछ यही पे रह जावेगा 

9. जंगल नदिया पेड़ और पौधे 
तारे तितली ताल और तोते 
जंतु पक्षी शेर और हाथी
ये सब तेरे असली  साथी

10. जल जननी और जवाहर  
मिटी वायु और समंदर 
मत कर इनकी तू बर्बादी 
न कर इतनी आप धापी 

11. विविधता धरती की बचा ले
आज से इनको गले लगाले 
थोड़े से तू कम चला ले 
मानव धरम फिर से अपना ले 
 

3 comments:

  1. मधु मैडम एक छोटा.... सा सुझाव है - अपनी रचनाओं की तरह एक प्यारा सा नाम भी ब्लॉग के लिए जल्द से जल्द रच डालिये।

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